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शनि की साढ़े साती और ढैय्या: क्या करें और क्या न करें?

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शनि की साढ़े साती और ढैय्या: क्या करें और क्या न करें?

शनि की साढ़े साती और ढैय्या: क्या करें और क्या न करें?

शनि की साढ़े साती और ढैय्या: क्या करें और क्या न करें? शनि के प्रभाव से बचने और जीवन में शांति पाने के उपाय

परिचय

शनि ग्रह को न्याय का देवता और कर्मों का फल देने वाला माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र में शनि की साढ़े साती और ढैय्या को महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इस समय व्यक्ति को अपने कर्मों का फल मिलता है। यह काल कई बार संघर्षपूर्ण होता है, लेकिन सही उपायों को अपनाकर शनि के दुष्प्रभावों को कम किया जा सकता है। इस लेख में हम जानेंगे कि साढ़े साती और ढैय्या क्या होती है, इनका जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है, और शनि के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए क्या करें और क्या न करें।


शनि की साढ़े साती क्या होती है?

शनि की साढ़े साती तब शुरू होती है जब शनि ग्रह किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली के चंद्र राशि से बारहवें, पहले और दूसरे भाव में प्रवेश करता है। प्रत्येक राशि में शनि ढाई साल तक रहता है, और तीन राशियों में यह कुल साढ़े सात वर्ष तक प्रभावी रहता है, इसलिए इसे 'साढ़े साती' कहा जाता है।

🔹 पहला चरण (प्रारंभिक) – जब शनि चंद्र राशि से बारहवें भाव में प्रवेश करता है। इस समय मानसिक तनाव, आर्थिक समस्याएँ और स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ हो सकती हैं।

🔹 दूसरा चरण (मध्य) – जब शनि चंद्र राशि में प्रवेश करता है। यह सबसे कठिन समय माना जाता है। व्यक्ति को करियर, संबंधों और धन की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

🔹 तीसरा चरण (अंतिम) – जब शनि चंद्र राशि से दूसरे भाव में प्रवेश करता है। यह समय धीरे-धीरे स्थिरता लाने वाला होता है और संघर्ष कम होने लगते हैं।


शनि की ढैय्या क्या होती है?

जब शनि ग्रह व्यक्ति की जन्म कुंडली में चंद्र राशि से चौथे या आठवें भाव में होता है, तो इसे ढैय्या कहते हैं। यह ढाई साल तक प्रभावी रहता है और आमतौर पर मध्यम स्तर के संघर्ष लेकर आता है।

🔹 चतुर्थ ढैय्या: पारिवारिक जीवन में समस्याएँ, मानसिक तनाव, और स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ।
🔹 अष्टम ढैय्या: अचानक दुर्घटनाएँ, आर्थिक नुकसान और मानसिक कष्ट।


शनि की साढ़े साती और ढैय्या के प्रभाव

सकारात्मक प्रभाव:

  • अनुशासन और परिश्रम की भावना विकसित होती है।
  • व्यक्ति अपने कर्मों के प्रति जागरूक होता है।
  • कठिन समय के बाद जीवन में स्थिरता आती है।

नकारात्मक प्रभाव:

  • करियर और बिजनेस में बाधाएँ आती हैं।
  • स्वास्थ्य समस्याएँ बढ़ सकती हैं।
  • संबंधों में तनाव आ सकता है।
  • मानसिक चिंता और अवसाद का सामना करना पड़ सकता है।

शनि के प्रभाव से बचने और जीवन में शांति पाने के उपाय

अगर आपकी कुंडली में शनि की साढ़े साती या ढैय्या चल रही है, तो निम्नलिखित उपाय करने से शनि के नकारात्मक प्रभाव कम किए जा सकते हैं:

1. भगवान शनि की पूजा करें

✅ प्रत्येक शनिवार को शनि देव की पूजा करें।
✅ शनि मंत्र – "ॐ शं शनैश्चराय नमः" का रोज़ाना 108 बार जाप करें।
✅ पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाएं और उसकी परिक्रमा करें।

2. दान करें

✅ ज़रूरतमंद लोगों को काला तिल, काले कपड़े, सरसों का तेल, उड़द की दाल और लोहे से बनी चीजें दान करें।
✅ शनिवार के दिन गरीबों को भोजन कराएं।

3. हनुमान जी की उपासना करें

✅ मंगलवार और शनिवार को हनुमान चालीसा का पाठ करें।
✅ हनुमान जी को चमेली के तेल का दीपक अर्पित करें।
✅ बजरंग बाण का पाठ करने से भी शनि के कष्टों में राहत मिलती है।

4. रत्न, रुद्राक्ष और क्रिस्टल्स धारण करें

✅ ज्योतिषी की सलाह से नीलम (ब्लू सफायर) धारण करें।
7 मुखी रुद्राक्ष धारण करें, जो शनि के प्रभाव को संतुलित करता है।
✅ काले गोमेद (गर्नेट) और ब्लू लेस अगेट क्रिस्टल्स धारण करें, जिससे मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।
✅ शनि यंत्र की स्थापना कर उसका विधिवत पूजन करें।
✅ काले घोड़े की नाल या शनि का छल्ला धारण करें।

5. संयमित जीवनशैली अपनाएं

✅ ईमानदारी और मेहनत से काम करें।
✅ झूठ और धोखाधड़ी से बचें।
✅ किसी को भी मानसिक या शारीरिक कष्ट न पहुँचाएं।

6. तेल का दान और तिल का सेवन करें

✅ हर शनिवार को सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
✅ भोजन में काले तिल का सेवन करें।
✅ तिल मिश्रित गुड़ या लड्डू गरीबों को खिलाएं।

7. मंत्र और उपाय

✅ "ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः" मंत्र का जाप करें।
✅ शनि आरती और दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ करें।
✅ गाय को हरा चारा और काली गाय को गुड़ खिलाएं।


क्या न करें?

❌ गरीबों और असहाय लोगों का अपमान न करें।
❌ झूठ बोलने और बेईमानी करने से बचें।
❌ नशे और बुरी संगति से दूर रहें।
❌ शनिवार को मांस-मदिरा का सेवन न करें।
❌ किसी का हक न छीनें और अन्याय न करें।


निष्कर्ष

शनि की साढ़े साती और ढैय्या का प्रभाव जीवन में बदलाव लाने के लिए होता है। यदि हम सही मार्ग अपनाते हैं, कर्मों में सुधार करते हैं और सही उपायों का पालन करते हैं, तो शनि हमें संघर्षों के बाद स्थिरता और सफलता प्रदान करता है। इस दौरान धैर्य, अनुशासन और सकारात्मकता बनाए रखना जरूरी है।

🔹 क्या आपको भी शनि की साढ़े साती या ढैय्या का अनुभव हुआ है? अपने विचार कमेंट में साझा करें और इस महत्वपूर्ण जानकारी को दूसरों के साथ शेयर करें! 🙏

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2 thoughts on “शनि की साढ़े साती और ढैय्या: क्या करें और क्या न करें?

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